hindisamay head


अ+ अ-

कविता

हमारी जेब में खुशियाँ नापने का मीटर नहीं था

विमल चंद्र पांडेय


हमारी जेबों में खूब सारे हिरन थे
शेर हमारी मुटि्ठयों में बंद थे
रेल गाड़ियाँ हमसे गति माँगती थीं
हमने सूरज को कई बार रोशनी उधार दी थी

हमें अपने हिस्से की खुशियाँ बर्बाद करने में कभी कोई हिचक नहीं होती थी
हम खर्च करते थे इसे खैरात की तरह
हम दुनिया की सबसे झूठी बात पर विश्वास करते थे
कि बाँटने से खुशियाँ बढ़ती हैं

झूठ बोलने के कई तरीके थे
मरने के तरीकों से कहीं ज्यादा
हमने किसी का अभ्यास नहीं किया
वे ढंग हमें इस दुनिया के कायरों के लगते थे
हमने अपने शरीरों को लोहे का समझा था
जिस पर जंगरोधी पॉलिश लगी थी

जब हमें कुछ नहीं आता था हम दूसरों को बहुत सिखाते थे
जैसे जैसे जानते गए थोड़ा कुछ
सीखने सिखाने की असलियत समझते गए
जिस तरह समझ गए सच्चे
प्यार, ईश्वर की ताकत और पाप-पुण्य का गड़बड़झाला

कुछ अनुभवी लोगों ने कहा था कि खुशियों की एक मात्रा होती है
हमने उन्हें निराशावादी कहा और कहकहे लगाए
इसे हमारी गलती नहीं हमारा बचपना माना जाय
पर इसकी सजा मिलना लाजिमी था
ईश्वर कहीं था तो इनसानों की तरह ही ईर्ष्यालु था
उसे बदले लेना पसंद था और गलतियों की सजा देना भी
हमारी जेब में खुशियाँ नापने का कोई मीटर नहीं था
जो यह बताता कि हमें भेजते हुए इतना ही दिया गया है
और इतने में ही हमें पूरी जिंदगी चलानी है

कोर्स की किताबों ने बरबाद किया हमें
पिताओं की इच्छाओं ने दीमक की तरह धीरे-धीरे चाल दी हमारी जिजीविषा
प्रेमिकाओं ने किसी अनजान प्रक्रिया के तहत हमारे अंदर नफरत भरी
नौकरियों ने दी अविश्वास, धोखे और अवसाद की पूँजी

जिंदगी भर शिकायत मुक्त एक संबंध की तलाश में पूरी दुनिया भटकने के बाद
पाया कि संबंध और शिकायत एक दूसरे के पर्यायवाची हैं
इस परिभाषा से संबंधियों को आसानी से शिकायतकर्ता की संज्ञा दी जा सकती है
यह कोई राज की बात नहीं है जो आपको पता न हो

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में विमल चंद्र पांडेय की रचनाएँ